जब 21 साल का लड़का रतन टाटा के लिए बन गया प्रेरणास्रोत: How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends

शांतनु नायडू और रतन टाटा की दोस्ती: एक प्रेरणादायक कहानी

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शांतनु नायडू आजकल बहुत चर्चाओं में रहते हैं और हर कोई यह जानने का प्रयास करता है कि आखिर रतन टाटा जी के साथ उनके क्या संबंध रहे हैं। क्या शांतनु नायडू, टाटा इंडस्ट्री के वारिस हैं या एंप्लॉय हैं या फिर क्या है?आईए जानते हैं।

कैसे बने शांतनु नायडू और रतन टाटा दोस्त:

How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends: रतन टाटा और शांतनु नायडू की दोस्ती एक ऐसी कहानी है जो उम्र और पद की सीमाओं को तोड़ कर सच्चे संबंधों की मिसाल पेश करती है। यह कहानी शुरू हुई 2014 में, जब पुणे के एक युवा इंजीनियर शांतनु नायडू ने सड़क पर मारे जाने वाले कुत्तों की मदद के लिए एक अनोखी पहल शुरू की। वह अक्सर देखा करते थे की रात में गाड़ियां आती हैं और बेचारे कई आवारा कुत्ते उन गाड़ियों से टकरा जाते हैं और अपनी जान गवा देते हैं इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने Motopaws नाम से एक प्रोजेक्ट इस शुरू किया।

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How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends

How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends: इस प्रोजेक्ट के द्वारा उन्होंने कुत्तों के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर तैयार किया जिससे कोई भी कुत्ता रात में गाड़ियों की लाइट में आराम से दिखाई देने लगे और फिर कोई भी गाड़ी उनको टक्कर नहीं मारती थी। जिससे बहुत कुत्तों की जिंदगी बच पाई।

How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends: जब शांतनु नायडू ने इस अभियान को सोशल मीडिया पर डाला तो यह जानकारी रतन टाटा जी तक पहुंची और रतन टाटा जी इस अभियान को देखकर बहुत खुश और प्रभावित हुए की किसी ने ऐसी भी पहल की है और उन्होंने शांतनु नायडू से मिलने की इच्छा जाहिर की।

2 महीने बाद शांतनु नायडू को मुंबई में टाटा ग्रुप के हेड क्वार्टर में बुलाया गया और रतन टाटा जी शांतनु नायडू से मिले और उनके विचारों के बारे में जाना और उनकी इस पहल को आगे बढ़ाने में मदद की। बस यही से दोनों के बीच दोस्ती की शुरुआत हुई।

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शांतनु नायडू कौन है ?

How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends: शांतनु नायडू का जन्म1993 में पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। शांतनु नायडू एक तेलुगू परिवार से आते हैं और एक जानकारी जो शायद आपको नहीं पता हो आपको बता दें कि उनके परिवार की पांच पीड़िया टाटा ग्रुप के साथ काम कर चुकी हैं।
उन्होंने सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी ग्रेजुएशन कंप्लीट के और उसके बाद उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री प्राप्त की।

How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends: उनका बचपन से ही समाज सेवा की ओर रुझान था और यही कारण था कि उन्होंने आवारा कुत्तों की मदद करने के लिए Motopaws प्रोजेक्ट शुरू किया। उनकी इस सोच ने न सिर्फ जानवरों की जान बचाई बल्कि उन्होंने रतन टाटा जी जैसे महान उद्योगपति का भरोसा भी जीता।

रतन टाटा और शांतनु नायडू की दोस्ती का सफर

How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends: रतन टाटा शांतनु नायडू की दोस्ती सिर्फ पेशेवर तक सीमित नहीं रही बल्कि यह एक गुरु और शिष्य की तरह विकसित हुई। शांतनु को अपने करियर को और ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए रतन टाटा जी ने सलाह दी कि उन्हें और उच्च शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। उनकी इस सलाह को मानते हुए शांतनु ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए किया।

How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends: एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने भारत लौटने का निर्णय लिया और भारत आकर रतन टाटा जी के साथ काम करने लगे।आज शांतनु टाटा ट्रस्ट में जनरल मैनेजर के पद पर काम करते हैं और रतन टाटा जी के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक माने जाते हैं। रतन टाटा के ऑफिस में महत्वपूर्ण योजनाओं और किसी भी काम को और अच्छा करने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

शांतनु नायडू की सैलरी और नेट वर्थ

How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends: शांतनु नायडू टाटा ट्रस्ट में जनरल मैनेजर के पद पर काम करते हैं और उन्हीं से उनको सैलरी प्राप्त होती है। इसके अलावा उनके खुद के कुछ स्टार्टअप्स हैं जिससे वह अच्छी कमाई करते हैं।

सैलरी: रिसर्च के अनुसार उनकी वार्षिक सैलरी 9 लाख रुपए से लेकर 27 लाख रुपए के बीच बताई जाती है।

नेट वर्थ: उनकी कुल संपत्ति 5 से 6 करोड रुपए की आंकी जाती है।
इसके अलावा उनके स्टार्टअप Motopaws और Goodfellows भी उनकी कमाई का बड़ा जरिया है

शांतनु नायडू की पर्सनल लाइफ: पत्नी और परिवार

How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends: शांतनु नायडू अपने निजी जीवन को लेकर बहुत ही प्राइवेट रहते हैं। उनकी शादी नहीं हुई है और वे अभी भी अविवाहित हैं। हालांकि कुछ रिसर्च के अनुसार उनके रिलेशनशिप को लेकर चर्चा होती रहती है लेकिन इस बात पर उन्होंने कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है।
शांतनु नायडू सोशल मीडिया पर भी ज्यादा एक्टिव नहीं रहते और वे अपने काम पर ज्यादा ध्यान देते हैं।

Goodfellows’ स्टार्टअप: बुजुर्गों के लिए अनोखी पहल

शांतनु नायडू और रतन टाटा ने मिलकर Goodfellows नामक स्टार्टअप की शुरुआत की थी। यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जो सीनियर सिटीजंस मतलब बुजुर्गों को युवा साथियों से जोड़ता है ताकि वे अकेलापन महसूस ना करें।
रतन टाटा ने इस प्रोजेक्ट को बहुत पसंद किया और इसे बढ़ाने के लिए फंडिंग भी देते थे।

‘I Came Upon a Lighthouse’ शांतनु नायडू की किताब

How Shantanu Naidu and Ratan Tata became friends: शांतनु नायडू ने ‘I Came Upon a Lighthouse: A Short Memoir of Life with Ratan Tata नामक किताब लिखी है।
इस किताब में उन्होंने रतन टाटा के साथ बिताए गए पलों और उनकी दोस्ती की अनोखी कहानी और रतन टाटा जी के निजी जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में बताया है

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