हर किसी को पता है कि कोई भी कपड़ा हवा की दिशा में ही उड़ता है, लेकिन विश्व में सिर्फ जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर स्थित झंडा ही है जो हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
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दूसरा चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस चमत्कारी मंदिर की कोई परछाई नहीं है। मतलब सूर्य किसी भी दिशा से निकले के लेकिन मंदिर की परछाई जमीन पर नहीं पड़ती।
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कोई भी व्यक्ति पुरी में कहीं से भी ऊंचाई से मंदिर के शीर्ष पर स्थिति चक्र को देखता है तो उसे चक्र का मुख हमेशा अपनी ओर ही दिखाई देता है।
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मंदिर के अंदर आज भी भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्री की प्रतिमाएं अधूरी हैं।
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इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था और इसे बनने में लगभग 14 वर्ष लगे थे।
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मंदिर का निर्माण गंग वंश के प्रसिद्ध राजा अनंतवर्मन चोडगंग ने करवाया था।
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इस प्रसिद्ध और विशाल मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं।
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भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित यह मंदिर कुल चार लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है।
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अचरज की बात यह कि मंदिर के ऊपर से कोई भी विमान या पक्षी नहीं उड़ पाता है।
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इसे चमत्कार ही कहा जाएगा कि समुद्र किनारे से महज दो किलोमीटर दूर होने के बावजूद मंदिर में पहला कदम रखते ही समुद्र की लहरों की आवाज पूरी तरह से खत्म हो जाती है।